Not known Factual Statements About baglamukhi sadhna



“शुक्ल यजुर्वेद माध्यन्दिनि संहिता‘ के पाँचवें अध्याय की २३, २४, २५ वीं कण्डिकाओं में अभिचार-कर्म की निवृत्ति में श्रीबगला महा-शक्ति का वर्णन इस प्रकार आया है-

Mastery inside of a endeavor can only be achieved via a guru. Mastery means efficiency. Similar to a person would like to construct an idol, then He'll do the do the job of that idol that is proficient On this artwork and also the learners want to understand the ability of idol from him.

हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै

दूसरा उपचार: देवी को पत्र-पुष्प (पल्लव) चढाना

Gracious Mother Baglamukhi, I choose shelter from you. Permit the discourse, toes, and organs of my adversary are stilled and given his information a chance to be impaired Along with the goal that he doesn’t transfer even more to harm me.

This Puja aids in resolving ongoing legal scenarios , property disputes, revenue disputes etc. It's also pretty helpful in circumstances where someone is wrongly accused. Irrespective of how unfavorable the legal challenge is, this Puja delivers a favorable consequence.

An evil spirit named Madan embraced severities and received the assistance of Vak siddhi, as indicated by which anything he explained arrived with regard to. He mishandled this enable by aggravating honest folks.

रात्रि ११ बजे मंगलाचरण के साथ द्वार खोल। देवी स्तुति, गान, पश्चात अस्टोत्री पाठ कथा, जप प्रयोग, हवन सुबह ४ बज, देवी अभिषेक, वस्त्राभूषण, षोडशोपचार पूजन, ध्वज चढ़ाने के पश्चात देवी आरती।

देवी को धूप दिखाते समय धुएं को हाथ से न फैलाएं। धूप दिखाने के उपरांत देवी का विशिष्ट तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित करने हेतु विशिष्ट सुगंध की अगरबत्तियों से उनकी आरती उतारें।

मेरे पास ऐसे बहुत से लोगों के फोन और मेल आते हैं जो एक क्षण में ही अपने दुखों, कष्टों का त्राण करने के लिए साधना सम्पन्न करना चाहते हैं। उनका उद्देष्य देवता या देवी की उपासना नहीं, उनकी प्रसन्नता नहीं बल्कि उनका एक मात्र उद्देष्य अपनी समस्या से विमुक्त होना होता है। वे लोग नहीं जानते कि जो कष्ट वे उठा रहे हैं, वे अपने पूर्व जन्मों में किये गये पापों के फलस्वरूप उठा रहे हैं। वे लोग अपनी कुण्डली में स्थित ग्रहों को देाष देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत परम्परा है। भगवान शिव ने सभी ग्रहों को यह अधिकार दिया है कि वे जातक को इस जीवन में ऐसा निखार दें कि उसके साथ पूर्वजन्मों का कोई भी दोष न रह जाए। इसका लाभ यह होगा कि यदि जातक more info के साथ कर्मबन्धन शेष नहीं है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। लेकिन हम इस दण्ड को दण्ड न मानकर ग्रहों का दोष मानते हैं।व्यहार में यह भी आया है कि जो जितनी अधिक साधना, पूजा-पाठ या उपासना करता है, वह व्यक्ति ज्यादा परेशान रहता है। उसका कारण यह है कि जब हम कोई भी उपासना या साधना करना आरम्भ करते हैं तो सम्बन्धित देवी – देवता यह चाहता है कि हम मंत्र जप के द्वारा या अन्य किसी भी मार्ग से बिल्कुल ऐसे साफ-सुुथरे हो जाएं कि हमारे साथ कर्मबन्धन का कोई भी भाग शेष न रह जाए।

प्रथम उपचार: देवी को गंध (चंदन) लगाना तथा हलदी-कुमकुम चढाना

वाग् वै देवानां मनोता तस्यां हि तेषां मनांसि ओतानि

इस समस्या के समाधान के लिए, उन्होंने शिव के देवता को याद किया, फिर भगवान शिव ने कहा: शक्ति के बिना , कोई भी इस विनाश को रोक नहीं सकता है, इसलिए आप उनके आश्रय जाओ। तब भगवान विष्णु जी हरिद्रा सरोवर के पास पहुंचने कर कड़ी तपस्या की । विष्णु के तपस्या से देवी खुश हुई । बगलामुखी साधना से खुश होकर । सौराष्ट्र क्षेत्र की झील पर,बगलामुखी परगट होता है। लौकिक तूफान जल्दी से बंद हो जाते हैं। उस समय मंगलमय देवी बगलामुखी का प्रादुर्भ होता है ! यह देवी बगलामुखी कथा है

अगर आप को इस महा विद्या के बारे में और अधिक जानकारी चाहिए तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में लिखे जय महकाल

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